मोदी कार्यकाल में कृषि बज़ट दोगुना, फिर भी किसान संकट में क्यों ?
असमय वर्षा और सूखा संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र ( सरकारी डेटा जो 60 करोड़ से अधिक भारतीयों ) को असुरक्षित करता है। ऐसे में देश की रीड़ की हड्डी माने जाने वाले 60 करोड़ किसान असमय वर्षा और सूखा से ग्रसि होकर साहूकारों और बैंको के ऋणों से त्रस्त होकर आत्महत्या की तरफ बढ़ने को मजबूर हो जाते हैं। किसानों के संकट से उपजे बाजार के संकट से आधी आबादी से अधिक ( लगभग 80 करोड़ ) लोग लगातार बढ़ते खर्च से महंगाई की मार से अपने घरों के चरमराते बजट से त्रस्त होकर भूख और गरीबी की मार झेलकर कंगाली की तरफ बड़ने लगते हैं। देश के किसानों के साथ साथ आम जनता भी बाजार की महंगाई की मार तले दबने लगता है। बीजेपी नीत मोदी सरकार ने कृषि अर्थवयस्था को मजबूत करने के लिए 57000 करोड़ रुपए का बज़ट (2019-2020) केवल कृषि सेक्टर को जारी किया है। जोकि पिछले पाँच वर्षों के बज़ट के मुकाबले दोगुना है। हालाँकि यह बज़ट पिछले वर्ष (2018-19) की तुलना में 13.4 % अधिक है। कुल बजट में लगभग 13 .4 % वृद्धि के बावजूद भी कृषि संकट नहीं टला है। बावजूद इसके किसान सड़कों पर है। मौजूदा समय में देश का कुल बज़ट 24.4 लाख करोड़ रुपये है। कृ